Why Should a separate Health Insurance Policy be taken for Working Employee| जॉब करने वाले कर्मचारी के लिए अलग से हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी क्यों लेना चाहिए है |Why Should a separate Health Insurance Policy be taken for Working Employee| जॉब करने वाले कर्मचारी के लिए अलग से हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी क्यों लेना चाहिए है |
दवाईयों और अस्पताल का खर्च लगातार बढ़ रहा है ऐसे में एक आम आदमी कम्पनी में जॉब करने वाले व्यक्ति के लिए मेडिकल इमरजेंसी में इन खर्चों को पूरा करना लगभग असंभव है। यही वजह है कि अलग-अलग कंपनियां अपने कर्मचारियों को मेडिकल इंश्योरेंस का कवर देती हैं। 

मेडिकल इंश्योरेंस, कंपनी की तरफ से अपने कर्मचारियों को दी जाने वाली एक ऐसी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी है जो दुर्घटना या अचानक उजागर हुई बीमारी में बहुत काम आती है। इसके कवर में कर्मचारी के साथ-साथ उसके परिवार के एक या दो सदस्यों को शामिल किया जाता है। कुछ कम्पनियां एम्प्लॉई के माता पिता को भी इंश्योरेंस का कवर देती हैं। इसमें अस्पताल में भर्ती के कुछ मामलों में खर्चों को क्लैम किया जा सकता है। हालांकि, कंपनी की तरफ से मिलने वाली मेडिकल इंश्योरेंस पॉलिसी की अहमियत या इसकी वैधता तब तक है, जब तक आप कंपनी में है। कंपनी छोड़ते ही आपको इसका कोई लाभ नहीं मिलेगा। और कम्पनी की तरफ से मिलने वाला मेडिकल इंश्योरेंस का कवर भी कंपनी निर्धारित करती है जिसे आप अपनी जरूरत के हिसाब से बढ़ा नहीं सकते है। इसके अलवा आपने जिस दिन कंपनी छोड़ी, आपकी पॉलिसी भी उसी दिन खत्म हो जाएगी।
मैंने अपने ऑफिस में देखा है कि ज्यादातर कर्मचारी कंपनी के हेल्थ इश्योरेंस पर ही निर्भर रहते हैं। उनका खुद का कोई पर्सनल हेल्थ कवर नहीं होता है। ऐसे में हम कह सकते हैं कि उनकी और उनके परिवार की सेहत की गारंटी तब तक है जब तक वह व्यक्ति जॉब में है। जॉब छोड़ने के बाद कंपनी उसकी कोई जिम्मेदारी नहीं लेगी। जॉब छोड़ने के बाद अगर आप नई हेल्थ इश्योरेंस पॉलिसी लेते भी हैं, तो उसमें प्रतीक्षा अवधि (Waiting Period) की समस्या आ जाती है, जहां आपको पॉलिसी का लाभ लेने के लिए एक से तीन साल तक का इंतजार करना पड़ेगा। उस दौरान आप और आपका परिवार असुरक्षित है। अगर कोई मेडिकल इमरजेंसी आती है, तो उसके भारी खर्चो का बोझ आपके ऊपर ही पड़ेगा। ऐसे में आपको वित्तीय संकट का सामना करना पड़ सकता है। अब सवाल यह उठता है कि कंपनी छोड़ने के बाद दूसरे कौन से विकल्प एक कर्मचारी के पास हैं।

भारत की बात करें तो एक कर्मचारी के पास सरल और जरूरी उपाय यही है कि वह कंपनी की हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के साथ-साथ एक अलग से हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीद लें, ताकि जब वह जॉब छोड़े, तो दूसरी पॉलिसी हमेशा उसके साथ रहे। इसके लिए वह पर्सनल हेल्थ कवर ले सकता है या फैमिली फ्लोटर हेल्थ इंश्योरेंस भी ले सकता है।

जब आप अपने या अपने परिवार के लिए हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदते हैं तो आपको कई बातों पर ध्यान देना चाहिए, जैसे अतिरिक्त कवर, क्लेम सेटलमेंट रेशियो, प्री-पोस्ट हॉस्पिटलाइजेशन का खर्च आदि कवर हो।

एक जॉब करने वाला व्यक्ति हमेशा से ही परिवार के लिए ‘संपत्ति’ की तरह है। इसलिए उसका जीवन और उसकी सेहत सबसे महत्वपूर्ण है, ताकि वह अपने साथ-साथ अपने परिवार का भी ख्याल रख सके। कंपनी की तरफ से मिलने वाली हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के अपने फायदे हैं और ये ध्यान रखिए ये फायदे आपको कंपनी में रहते हुए मिलेंगे। इस तरह की पॉलिसी में अनिश्चितता है। एक बात हमेशा याद रखिये की अगर आप हेल्थ इंश्योरेंस नहीं लेंगे तो आप किसी बीमारी की अवस्था में आप किसी आर्थिक परेशानी में पड़ सकते हैं

इसलिए हेल्थ इंश्योरेंस किसी को गरीब या अमीर नहीं बनने देता है परन्तु आप हेल्थ इंश्योरेंस के आभाव में एक झटके में गरीब बन सकते है। इसलिए समय रहते उपयुक्त हेल्थ इंश्योरेंस खरीद लें।

By ANKIT SACHAN

अंकित सचान इन्वेस्टमेंट अड्डा के लेखक , पेशे से इंजीनियर और AMFI Registered म्यूच्यूअल फण्ड डिस्ट्रीब्यूटर हैं।

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