11 Lesser-Known Tax Deductions That Salaried People Miss While Filing ITR | 11 कम ज्ञात कर कटौती जो वेतनभोगी लोग आईटीआर दाखिल करते समय चूक जाते हैं11 Lesser-Known Tax Deductions That Salaried People Miss While Filing ITR | 11 कम ज्ञात कर कटौती जो वेतनभोगी लोग आईटीआर दाखिल करते समय चूक जाते हैं
केंद्र सरकार ने अगले वित्त वर्ष 2023-24 से नई टैक्स रिजीम में टैक्स रिबेट (Tax Rebate In New Tax Regime) की सीमा दो लाख रुपये बढ़ा दी है। इसके तहत, अब नई टैक्स रिजीम चुनने वाले टैक्सपेयर्स को 5 लाख रुपये की जगह 7 लाख रुपये तक की सालाना आय पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। इसके साथ ही वेतनभोगियों को अगले वित्त वर्ष 2023-24 से नई कर व्यवस्था में भी 50,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन (Rs.50,000 Standard Deduction In New Tax Regime) भी मिलेगा। इस तरह, जिनकी कुल सालाना आमदनी 7.5 लाख रुपये है, वो नई टैक्स रिजीम चुनकर टैक्स मुक्त हो जाएंगे।

पुरानी टैक्स व्यवस्था में इनकम टैक्स से मुक्त होने की सालाना आय सीमा 5.50 लाख रुपये (Tax Rebate In Old Tax Regime) ही है। अगर कोई कर दाता पुरानी टैक्स रिजीम चुनकर आयकर की विभिन्न धाराओं के तहत डिडक्शन का लाभ उठाकर अपनी सालाना कर योग्य आमदनी को 5.50 लाख रुपये तक ले आता है तो उसका इनकम टैक्स शून्य हो जाएगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में ओल्ड टैक्स रिजीम में किसी भी बदलाव की घोषणा नहीं की है।

ओल्ड टैक्स रिजीम Vs नई टैक्स रिजीम

केंद्र सरकार ने आगामी वित्त वर्ष 2023-24 के लिए पेश बजट में नई टैक्स रिजीम को बढ़ावा देने का प्रावधान किया है। इसे आकर्षक बनाने के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन का तोहफा देकर टैक्स रिबेट की सीमा दो लाख रुपये बढ़ा दी गई तो ओल्ड रिजीम को ज्यों का त्यों छोड़ दिया गया। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या नए प्रावधानों के साथ नई कर व्यवस्था वाकई करदाताओं को पैसे बचाने में मदद करेगी? सवाल यह भी है कि क्या अब हर सैलरीड टैक्सपेयर को खुद को पुरानी टैक्स व्यवस्था से किनारा कर लेना चाहिए? इसका एक सामान्य जवाब नहीं हो सकता है क्योंकि पुरानी टैक्स व्यवस्था के तहत 80सी से लेकर इनकम टैक्स एक्ट के विभिन्न प्रावधानों के तहत निवेश की रकम तय करेगी कि किसी खास टैक्सपेयर के लिए नई टैक्स रिजीम उचित है या फिर पुरानी। इतना जरूर है कि टैक्स छूट दिलाने वाले आयकर अधिनियम के जितने ज्यादा प्रावधानों का जितनी अधिकतम सीमा तक उपयोग किया जाएगा, नई टैक्स रिजीम के मुकाबले ओल्ड टैक्स रिजीम उतनी ही ज्यादा फायदेमंद होती जाएगी। मसलन, अगर कोई टैक्सपेयर अपनी आय का अच्छा-खासा हिस्सा टैक्स बचाने वाले निवेश (Tax Saver Investments) के विकल्पों में इस्तेमाल कर लेता है तो उसे ओल्ड टैक्स रिजीम चुनने में ही फायदा है। लेकिन जिस व्यक्ति के पास निवेश के लिए ज्यादा पैसे नहीं बच पाते हैं, उनके लिए नई टैक्स व्यवस्था ही फायदेमंद साबित होगी।

अगर किसी सैलरीड पर्सन की सालाना आमदनी 7.50 लाख रुपये तक है तो नई टैक्स रिजीम में तो उसे एक रुपये का भी इनकम टैक्स नहीं देना होगा। लेकिन पुरानी कर व्यवस्था में उसे इनकम टैक्स शून्य करने के लिए 2 लाख रुपये का निवेश दिखाना होगा। आम तौर पर 7.50 लाख रुपये की सालाना सैलरी वाले व्यक्ति के लिए वर्ष में 2 लाख रुपये का निवेश कर पाना आसान नहीं होता है। ऐसे में 2 लाख रुपये से जितनी कम रकम निवेश करेंगे, उतना ज्यादा टैक्स देना होगा। लेकिन नई टैक्स रिजीम चुनते हैं तो एक रुपये का निवेश किए बिना 7.50 लाख रुपये की सालाना इनकम पूरी तरह टैक्स फ्री हो जाती है। दरअसल, इनकम टैक्स ऐक्ट के सेक्शन 87ए के तहत ओल्ड टैक्स रिजीम में 2.5 लाख से 5 लाख रुपये तक पर बनने वाला 12,500 हजार रुपये किया जा रहा है। इसी तरह, अब नई टैक्स रिजीम में भी 3 लाख रुपये से 7 लाख रुपये पर बनने वाला 25 हजार रुपये का टैक्स सरकार माफ कर देगी।

पुरानी टैक्स रिजीम के स्लैब्स

ओल्ड टैक्स रिजीम – (60 वर्ष से कम उम्र वालों के लिए)

0 से 2.5 लाख0 प्रतिशत
2,50,001 से 5 लाख5 प्रतिशत (12500 रूपये टैक्स रिबेट)
5,00,001 से 10 लाख20 प्रतिशत
10,00,001 लाख से अधिक30 प्रतिशत

न्यू टैक्स रिजीम (सभी उम्र के लोगों के लिए)

0 से 3 लाख0 प्रतिशत
3 से 6 लाख5 प्रतिशत
6,00,001 से 9 लाख10 प्रतिशत
9,00,001 से 12 लाख15 प्रतिशत
12,00,001 से 15 लाख20 प्रतिशत
15,00,001 लाख या ज्यादा30 प्रतिशत

दोनों ही टैक्स रिजीम में 50 हजार रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन दे दिया गया है तो पुरानी टैक्स रिजीम चुनने वाले वैसे लोग जिनकी करयोग्य सालाना आमदनी 5.50 लाख रुपये से ज्यादा है, उन्हें 2.5 लाख रुपये तक की आमदनी टैक्स फ्री है। वहीं, नए वित्त वर्ष 2023-24 से नई टैक्स रिजीम में 7.50 लाख रुपये तक की कुल सालाना आय वाले टैक्स फ्री हो जाएंगे जबकि 7.50 लाख रुपये से एक रुपया भी ज्यादा की कुल सालाना इनकम वालों की 3 लाख रुपये की सालाना आय टैक्स फ्री हो जाएगी। इसके दो मायने हैं-

1. नई टैक्स रिजीम में सालभर में 7.50 लाख रुपये तक की सैलरी पाने वाले टैक्स फ्री हो जाएंगे जबकि पुरानी टैक्स रिजीम में साल में 5.50 लाख रुपये तक की सैलरी पाने वाले ही टैक्स फ्री हो पाएंगे और किसी का वार्षिक वेतन 5.50 लाख से ज्यादा है तो उन्हें बाकी की रकम को टैक्स बचाने वाले निवेश विकल्पों में लगाना होगा।

2. पुरानी टैक्स रिजीम में निवेश करने पर टैक्स तो बच जाता है, लेकिन टैक्सेबल इनकम 5 लाख रुपये से ज्यादा होने पर नई टैक्स रिजीम के मुकाबले ज्यादा टैक्स भरना पड़ेगा। यानी, पुरानी टैक्स रिजीम में विभिन्न पेंशन स्कीम, इंश्योरेंस स्कीम, टैक्स सेवर म्यूचुएल फंड्स प्रीमियम, मेडिक्लेम प्रीमियम, बच्चों की स्कूल फी आदि पर टैक्स में कुछ छूट तो मिल जाती है, लेकिन टैक्स की दरें ऊंची होती हैं। वहीं, नई टैक्स रिजीम में टैक्स की दरें कम हैं।

पुरानी कर व्यवस्था

कुल आय700,0001,000,000 1,200,0001,500,000
मानक कटौती50,00050,00050,00050,000
80सी150,000150,000150,000150,000
एनपीएस50,00050,00050,00050,000
मकान किराया भत्ता0150,0000300,000
होम लोन ब्याज80,000 0150,0000
कुल कटौती330,000400,000400,000550,000
करयोग्य आय370,000600,000800,000950,000
2.5 लाख तक (शून्य)0000
2.5 लाख से 5 लाख तक (5%)6,00012,50012,50012,500
5 लाख से 10 लाख तक (20%)020,00060,00090,000
10 लाख से अधिक (30%)0000
आयकर6,00032,50072,500102,500
सरचार्ज (4%)2401,3002,9004,100
कुल आयकर6,24033,80075,400106,600
धारा 87 के तहत छूट6,240000
कुल देय आयकर033,80075,400106,600

नई कर व्यवस्था (मौजूदा )

कुल आय700,0001,000,0001,200,0001,500,000
मानक कटौती0000
80सी0000
मकान किराया भत्ता0000
एनपीएस0000
होम लोन ब्याज0000
कुल कटौती0000
करयोग्य आय700,0001,000,0001,200,0001,500,000
2.5 लाख तक (शून्य)0000
2.5 लाख से 5 लाख तक (5%)12,50012,50012,50012,500
5 लाख से 7.5 लाख तक (10%)20,00025,00025,00025,000
7.5 लाख से 10 लाख तक ( 15% )037,50037,50037,500
10 लाख से 12.5 लाख तक (20%)0040,00050,000
12.5 लाख से 15 लाख तक (25%)00062,500
15 लाख से अधिक (30%)0000
आयकर32,50075,000115,000187,500
सरचार्ज (4%)1,3003,0004,6007,500
कुल आयकर33,80078,000119,600195,000
धारा 87ए के तहत छूट0000
कुल देय आयकर33,80078,000119,600195,000

नई कर व्यवस्था (प्रस्तावित )

कुल आय700,0001,000,0001,200,0001,500,000
मानक कटौती50,00050,00050,00050,000
80सी0000
मकान किराया भत्ता0000
एनपीएस0000
होम लोन ब्याज0000
कुल कटौती50,00050,00050,00050,000
करयोग्य आय650,000950,0001,150,0001,450,000
3 लाख तक (शून्य)0000
3 लाख से 6 लाख तक (5%)15,00015,00015,00015,000
6 लाख से 9 लाख तक (10%)5,00030,00030,00030,000
9 लाख से 12 लाख तक ( 15% )07,50037,50045,000
12 लाख से 15 लाख तक (20%)00050,000
15 लाख से अधिक (30%)0000
आयकर20,00052,50082,500140,000
सरचार्ज (4%)8002,1003,3005,600
कुल आयकर20,80054,60085,800145,600
धारा 87ए के तहत छूट20,800000
कुल देय आयकर054,60085,800145,600

तो क्या करें- नए में जाएं या पुराने में बने रहें?

आखिर में वही यक्ष प्रश्न- नई टैक्स रिजीम में फायदा या पुरानी टैक्स व्यवस्था ही सही? इसका जवाब आपकी आर्थिक परिस्थितियों पर निर्भर है। अगर आप आयकर अधिनियम के विभिन्न टैक्स सेविंग टूल्स का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करते हैं तो निश्चित तौर पर आपको पुरानी टैक्स व्यवस्था में ही रहना चाहिए, लेकिन अगर आप अपनी सैलरी से अच्छी-खासी बचत करके टैक्स सेविंग स्कीम में निवेश नहीं कर पाते तो फिर नई टैक्स व्यवस्था में आना ही फायदेमंद होगा। बेहतर होगा कि आप अपनी आमदनी और निवेश के हिसाब से दोनों टैक्स रिजीम को आंक लें या फिर किसी जानकार की मदद ले लें।

By ANKIT SACHAN

अंकित सचान इन्वेस्टमेंट अड्डा के लेखक , पेशे से इंजीनियर और AMFI Registered म्यूच्यूअल फण्ड डिस्ट्रीब्यूटर हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *