आज के दौर में हर माता-पिता अपने बच्चों का उज्ज्वल भविष्य चाहते हैं और इसके लिए वे अपनी ओर से पूरी कोशिश भी करते हैं।भारतीय पैरंट्स के लिए शिक्षा में निवेश करना सबसे बड़ी प्राथमिकता होती है।

भारतीय पैरंट्स की नजर जिन दो मुद्दों पर सबसे ज्यादा रहती है, उसमें बच्चों की शादी और भविष्य में उनके लिए कोई उद्यम खड़ा करना शामिल है। बच्चों के भविष्य के लिए बचत करने वाले पैरंट्स में से 81 फीसदी की चिंता पढ़ाई से जुड़ी होती है। साथ ही, करीब 47 फीसदी पैरंट्स उच्च शिक्षा की बढ़ती लागत को लेकर भी काफी चिंतित हैं। इसकी वजह से तेजी से बढ़ती मुद्रास्फीति है। भारतीय माता-पिता मानते हैं कि बच्चों की शिक्षा के लिए शुरू से ही सही योजना बनाने की जरूरत होती है।
बीमा होता है जरूरी
मौजूदा दौर को देखते हुए कोई भी माता-पिता इस बात की गारंटी नहीं दे सकते हैं कि वे अपने बच्चों की फाइनेंशियल जरूरतें पूरी करने के लिए हमेशा बच्चों साथ रहेंगे। बतौर माता-पिता आप इसकी गारंटी ले भी नहीं सकते हैं कि आप अपने बच्चों की फाइनेंशियल जरूरतों का पूरा ध्यान रखेंगे, चाहे आप जीवित रहें या न रहें। हालांकि, टर्म बीमा कुछ हद तक इसकी गारंटी देता है। निश्चित तौर पर किसी भी अनहोनी की स्थिति में टर्म  बीमा पॉलिसी आपके परिवार को वित्तीय सुरक्षा मुहैया कराती है। साथ ही, उससे लंबी अवधि में आपको बचत (अगर आपने टर्म प्लान में जमा किये गए रूपये का वापसी का ऑप्शन चुना है ) भी मिलती है। हर दो में से एक माता-पिता मानते हैं कि बच्चों की पढ़ाई का खर्च पूरा करने के लिए बीमा बहुत जरूरी होता है और इनमें से 13 फीसदी माता-पिता के पास चाइल्ड इंश्योरेंस प्लान है।
ऐसा लग रहा है कि पढ़ाई-लिखाई का खर्च बढ़ने की दर मुद्रास्फीति दर से तेज हो सकती है, जिसको मुद्रा की वैल्यू घटते जाने से और बल मिलेगा। इन कारणों से ज्यादातर माता-पिता अपने बच्चों की पढ़ाई के खर्च को लेकर काफी चिंतित हैं। आइए इसे एक उदाहरण से समझें। अभी विदेश में MBBS की पढ़ाई (डिग्री कोर्स) पर करीब 93.6 लाख रुपए खर्च होते हैं। ऐसी उम्मीद है कि अगले 20 सालों में यह खर्च बढ़कर 2.48 करोड़ रुपए हो जाएगा। इसी तरह, आज से 20 साल बाद विदेश में MBA की डिग्री हासिल करने के लिए 1.27 करोड़ रुपए खर्च करने पड़ेंगे, जिसमें अभी लगभग 48 लाख रुपए लगते हैं।
यह बात समझनी बहुत जरूरी है कि एक तय वक्त के बाद आपकी जरूरत क्या होगी। इसकी वजह यह है कि आज के 5 लाख रुपए 20 साल बाद के 15 लाख रुपए के बराबर होंगे। सर्वे बताता है कि 81 फीसदी माता-पिता यह मानते हैं कि उन्हें भविष्य में होने वाली पढ़ाई की लागत का अंदाजा नहीं है। अभी ये माता-पिता प्रति वर्ष औसतन 26 हजार रुपए बच्चों की पढ़ाई के लिए जमा कर रहे हैं, जो अगले 18 सालों में महज 4,67,242 रुपए होंगे।
क्या करें माता-पिता?
माता-पिता को अपनी बच्चों की पढ़ाई का खर्च पूरा करने के लिए क्या करना चाहिए? जवाब आसान है। निवेश की योजना बनाने वक्त चतुराई से काम लें। एक सफल योजना तैयार करने के लिए सबसे पहली जरूरत जल्द से जल्द बचत करना शुरू कर देना है। साथ ही, जरूरतों का सही आकलन होना चाहिए। इस दौरान छिपे हुए खर्चों को ध्यान में रखना चाहिए। माता-पिता को चाहिए वे लंबी अवधि की योजना तैयार करें और अनुशासित तथा व्यवस्थित ढंग से निवेश करें। बाजार में कई निवेश और बचत योजनाएं उपलब्ध हैं। और सभी के कुछ अच्छे और कुछ बुरे पहलू हैं। इससे कंफ्यूजन भी पैदा होता है। समझदारी इसी में है कि अपनी जरूरतों को समझें और उसी योजना को चुनें जो आपकी इन जरूरतों को पूरी करती हो। बेहतर होगा कि इसके लिए आप वित्तीय सलाहकार से संपर्क करें, और सुनी-सुनाई बातों पर ध्यान ना  दें।
इन दिनों पूरी दुनिया में यूनिट लिंक्ड चाइल्ड लाइफ इंश्योरेंस प्लान लोकप्रिय हैं और भारत में भी इनकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। चाइल्ड प्लांस से न केवल निवेश की जरूरतें पूरा होती हैं, बल्कि माता-पिता के साथ होने वाली किसी भी अनहोनी की स्थिति में बच्चों को वित्तीय सुरक्षा भी मिलती है। यह एकमात्र ऐसा उत्पाद है, जो आपके बच्चे के 18 या 21 साल पूरा होने पर उतना फंड उपलब्ध कराता है जिसे आप बचाने की योजना बना रहे थे। 
अगर  आप म्यूच्यूअल फण्ड को समझते है तो उसमें भी निवेश कर सकते हैं यह किसी भी चाइल्ड प्लान से बेहतर रिटर्न देने में सक्षम हैं। 
हालांकि, किसी भी उत्पाद का चुनाव इस बार पर निर्भर करता है कि माता-पिता कितना जोखिम उठा सकते हैं।
मौजूद योजनाएं
बाजार में कई तरह की योजनाएं मौजूद हैं। इनमें प्रीमियम वेवर (प्रीमियम छूट) जैसी योजनाएं भी शामिल हैं। इसमें पैरंट्स की मृत्यु हो जाने पर या उनके शारीरिक रूप से विकलांग होने पर या फिर बीमार होने पर भी पॉलिसी बनी रहती है और अंत में लाइफ कवर मिल जाता है। इनकम बेनेफिट प्लांस में नियमित तौर पर आमदनी हासिल होती रहती है (यदि राइडर ने इसे चुना है) ताकि पैरंट्स की मृत्यु होने पर बच्चे की रोजमर्रा के खर्च को पूरा किया जा सके। और पॉलिसी परिपक्व होने पर आपको पूरा फंड मिल जाता है। हो सकता है कि आपने वित्तीय योजनाओं के जरिए अपने भविष्य को सुरक्षित कर लिया हो, लेकिन अपने बच्चों के भी भविष्य की तैयारी करना आज के दौर में बहुत जरूरी है।
बच्चों के लिए भविष्य के लिए कराएं बीमा
जब कभी दीर्घावधि के लिए निवेश करना हो तो बेहतर है कि आप यूनिट लिंक्ड निवेश योजनाओं का चुनाव करें। अवधि जितनी अधिक होगी जोखिम उतना ही कम होता जाएगा। आजकल अधिकांश मां-बाप अपने बच्चों के लिए यूलिप वाली बीमा योजनाएं ले रहें हैं ताकि बच्चों के पढ़ाई एवं शादी-विवाह के खर्च पूरे हो सकें।
जीवन बीमा योजनाओं में बच्चों के लिए निवेश
पिछले कुछ वर्षों में जीवन बीमा का प्रचलन बढ़ा है। लोग बीमा योजनाओं को निवेश का जरिया समझते हैं। ऐसे लोग मानते हैं कि पब्लिक प्रोविडेंट फंड, म्यूचुअल फंड, विभिन्न प्रकार के बॉण्ड्स आदि केवल बड़े लोगों के लिए है और वे इन्हें बच्चों के लिए उपयुक्त नहीं समझते हैं। निवेश का कोई भी जरिया बच्चों या बड़े लोगों के लिए विशिष्ट नहीं होता है। लोगों को अपने ऐसे विचारों को बदलना चाहिए।
 
पारंपरिक बीमा योजना VS यूलिप
प्राय: हमलोग यह नहीं समझ पाते कि निवेश के लिए यूलिप, पारंपरिक बीमा या म्यूचुअल फंड में से किस विकल्प का चुनाव करें। अब आप मनोहर का उदाहरण ले लीजिए, वह ३५ वर्ष का है और उसने तीन यूलिप की खरीदारी की हुई है। अब मनोहर यह जानना चाहता है कि निवेश के लिए जीवन बीमा के पारंपरिक योजनाओं और यूलिप में से किसे चुना जाए।
वास्तव में दोनों प्रकार की योजनाओं के निवेश के तरीके में अंतर है। पारंपरिक योजनाओं में आईआरडीए के दिशानिर्देशों के मुताबिक निवेश किया जाता है जबकि यूलिप के मामले में आईआरडीए के दिशानिर्देशों को ध्यान में रखते हुए फंड प्रबंधक विभिन्न आस्ति वर्गों में निवेश करते हैं और निवेशकों को निवेश के कई विकल्प उपलब्ध कराते हैं। यूलिप का चुनाव करना तभी ठीक होता है जब निवेशक बाजार की गतिविधियों को समझता हो एवं बाजार की परिस्थितियों को देखते हुए अपना फंड परिवर्तित कर सकता हो।

By ANKIT SACHAN

अंकित सचान इन्वेस्टमेंट अड्डा के लेखक , पेशे से इंजीनियर और AMFI Registered म्यूच्यूअल फण्ड डिस्ट्रीब्यूटर हैं।

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