हेल्थ इंश्योरेंस टॉप-अप: कम प्रीमियम में ज़्यादा सुरक्षा पाने का स्मार्ट तरीकाहेल्थ इंश्योरेंस टॉप-अप: कम प्रीमियम में ज़्यादा सुरक्षा पाने का स्मार्ट तरीका

हेल्थ इंश्योरेंस टॉप-अप लेना क्यों ज़रूरी है?

आज की तेज़ रफ्तार और अनिश्चितताओं से भरी ज़िंदगी में स्वास्थ्य सुरक्षा एक प्राथमिकता बन चुकी है। जहां एक तरफ हम बेहतर जीवनशैली की ओर बढ़ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर बीमारियों की जटिलताएं और इलाज की लागतें भी लगातार बढ़ रही हैं। ऐसे में केवल एक बेसिक हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी रखना शायद पर्याप्त न हो। यहीं पर हेल्थ इंश्योरेंस टॉप-अप प्लान्स हमारी मदद के लिए आते हैं।

टॉप-अप प्लान क्या होता है?

टॉप-अप प्लान मूल रूप से एक अतिरिक्त बीमा सुरक्षा प्रदान करने वाला प्लान होता है जो आपकी मौजूदा हेल्थ पॉलिसी के कवरेज से ऊपर की लागत को कवर करता है। उदाहरण के तौर पर, अगर आपके पास ₹5 लाख की बेस पॉलिसी है और आपने ₹10 लाख का टॉप-अप लिया है, तो किसी गंभीर बीमारी की स्थिति में जब बेस पॉलिसी की सीमा पार हो जाती है, तो टॉप-अप प्लान बचा हुआ खर्च कवर करता है।

टॉप-अप प्लान लेना क्यों ज़रूरी है?

1. बढ़ती स्वास्थ्य देखभाल लागत

भारत सहित दुनिया भर में हेल्थकेयर खर्च तेज़ी से बढ़ रहा है। बड़े अस्पतालों में इलाज, ऑपरेशन, ICU और दवाइयों पर आने वाली लागत आम व्यक्ति की पहुंच से बाहर हो रही है। ऐसे में अगर आपकी बेस पॉलिसी कम कवर देती है, तो सारी जिम्मेदारी आपकी जेब पर आ जाती है। टॉप-अप प्लान इस बोझ को हल्का करने में सहायक है।

2. कम प्रीमियम में अधिक कवरेज

टॉप-अप प्लान्स का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह बहुत कम प्रीमियम पर उच्च बीमा राशि उपलब्ध कराते हैं। मतलब कम खर्च में आपको एक बड़ा कवर मिल सकता है, जो किसी भी आपात स्थिति में बहुत मददगार साबित होता है।

3. सुपर टॉप-अप विकल्प

जहां टॉप-अप प्लान एक बार में हुए खर्च को कवर करता है, वहीं सुपर टॉप-अप प्लान पूरे साल में हुए सभी अस्पताल खर्चों को जोड़कर कवर करता है। यानी अगर आपकी कई बार अस्पताल में भर्ती होने की नौबत आ जाए, तो सुपर टॉप-अप आपके लिए और भी बेहतर साबित हो सकता है।

4. बेस पॉलिसी की सीमा बढ़ाने की आवश्यकता नहीं

कई बार लोग सोचते हैं कि अपनी बेस पॉलिसी की सीमा बढ़ाना बेहतर रहेगा, परंतु उसमें प्रीमियम कई गुना बढ़ जाता है। जबकि टॉप-अप प्लान कम प्रीमियम में वही सुरक्षा प्रदान करता है, जिससे बजट भी मैनेज होता है और कवरेज भी।

उदाहरण से समझें

मान लीजिए किसी व्यक्ति के पास ₹5 लाख की हेल्थ पॉलिसी है, और वह एक गंभीर हृदय रोग के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती होता है। इलाज का कुल खर्च ₹9 लाख आता है। अब ₹5 लाख बेस पॉलिसी से कवर हो जाएंगे, लेकिन बाकी ₹4 लाख का खर्च टॉप-अप प्लान से पूरा हो सकता है—वह भी मात्र कुछ हज़ार रुपये के वार्षिक प्रीमियम में।

कर लाभ (Tax Benefits)

भारतीय आयकर अधिनियम की धारा 80D के तहत टॉप-अप प्लान पर भी आप टैक्स छूट का लाभ उठा सकते हैं। यह व्यक्तिगत लाभ के साथ-साथ वित्तीय योजना में भी मददगार हो सकता है।

किन लोगों को ज़रूर लेना चाहिए?

  • वरिष्ठ नागरिकों (Senior Citizens) को, जिनकी स्वास्थ्य आवश्यकताएं अधिक होती हैं।
  • परिवारों को जिनके सभी सदस्यों को एक पॉलिसी में शामिल किया गया है।
  • उन लोगों को जिनके नियोक्ता की इंश्योरेंस लिमिट सीमित है।
  • फ्रीलांसर्स या स्वरोज़गार पेशेवरों को, जिनके पास कोई कॉर्पोरेट कवरेज नहीं होता।

कब और कैसे लें?

हेल्थ इंश्योरेंस टॉप-अप लेने का सबसे अच्छा समय वह है जब आप किसी गंभीर बीमारी से पहले स्वस्थ हैं। यह प्रीमियम को कम रखता है और वेटिंग पीरियड कम कर सकता है। आप ऑनलाइन बीमा कंपनियों से तुलना कर सकते हैं, या किसी प्रमाणित बीमा सलाहकार से सलाह लेकर एक उपयुक्त टॉप-अप प्लान चुन सकते हैं।

निष्कर्ष

ज़िंदगी कभी भी कोई मोड़ ले सकती है, और स्वास्थ्य संबंधी आपात स्थिति न तो उम्र देखकर आती है, न ही परिस्थिति। ऐसे में वित्तीय रूप से तैयार रहना बहुत आवश्यक है। हेल्थ इंश्योरेंस टॉप-अप प्लान एक मजबूत बैकअप की तरह काम करता है—कम लागत पर ज़्यादा कवरेज, जिससे आपकी मेहनत की कमाई सुरक्षित रहे और आप मानसिक रूप से भी निश्चिंत रहें

By ANKIT SACHAN

अंकित सचान इन्वेस्टमेंट अड्डा के लेखक , पेशे से इंजीनियर और AMFI Registered म्यूच्यूअल फण्ड डिस्ट्रीब्यूटर हैं।

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