प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना (PM-SYM) भारत सरकार द्वारा असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए शुरू की गई एक स्वैच्छिक और अंशदायी पेंशन योजना है। इसका उद्देश्य है कि ऐसे श्रमिक जो वृद्धावस्था में आर्थिक रूप से असहाय हो सकते हैं, उन्हें 60 वर्ष की आयु के बाद ₹3000 प्रति माह की सुनिश्चित पेंशन प्रदान की जाए।
🎯 उद्देश्य
- असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को वृद्धावस्था में वित्तीय सुरक्षा देना
- सामाजिक सुरक्षा के दायरे को बढ़ाना
- श्रमिकों को औपचारिक वित्तीय प्रणाली से जोड़ना
👷 पात्रता मानदंड
इस योजना का लाभ लेने के लिए निम्नलिखित शर्तें पूरी होनी चाहिए:
- आयु: 18 से 40 वर्ष के बीच
- मासिक आय: ₹15,000 या उससे कम
- असंगठित क्षेत्र में कार्यरत (जैसे रिक्शा चालक, घरेलू कामगार, रेहड़ी-पटरी वाले, निर्माण श्रमिक आदि)
- EPFO, ESIC या NPS के सदस्य न हों
- आयकरदाता न हों2
💰 अंशदान और सरकार की भागीदारी
- योजना में शामिल होने वाले व्यक्ति को 60 वर्ष की आयु तक मासिक अंशदान करना होता है
- अंशदान की राशि आयु के अनुसार तय होती है (जैसे 18 वर्ष की आयु में ₹55, 40 वर्ष की आयु में ₹200 प्रति माह)
- सरकार भी उतनी ही राशि का अंशदान करती है, यानी 50:50 योगदान मॉडल
📜 लाभ
- ₹3000 प्रति माह की पेंशन 60 वर्ष की आयु के बाद
- परिवार पेंशन: यदि लाभार्थी की मृत्यु हो जाती है, तो उसकी पत्नी/पति को ₹1500 प्रति माह की पेंशन
- नॉमिनी सुविधा: मृत्यु से पहले नामांकित व्यक्ति को योजना जारी रखने या राशि निकालने का विकल्प
- ऑटो-डेबिट सुविधा: बैंक खाते से स्वचालित कटौती से भुगतान आसान
📝 आवेदन प्रक्रिया
- नजदीकी कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) पर जाएं
- आधार कार्ड, बैंक पासबुक और मोबाइल नंबर साथ ले जाएं
- फॉर्म भरें और बायोमेट्रिक सत्यापन कराएं
- एक PM-SYM कार्ड जारी किया जाएगा
📊 अब तक की प्रगति
- योजना की शुरुआत फरवरी 2019 में हुई थी
- अब तक 46 लाख से अधिक श्रमिक इस योजना से जुड़ चुके हैं
- योजना का संचालन श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा किया जाता है
⚠️ ध्यान देने योग्य बातें
- यदि कोई व्यक्ति नियमित अंशदान नहीं करता है, तो योजना से बाहर किया जा सकता है
- योजना से बाहर निकलने की प्रक्रिया भी निर्धारित है
- यह योजना केवल स्वैच्छिक है, यानी इसमें शामिल होना अनिवार्य नहीं है
✅ निष्कर्ष
प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना उन करोड़ों असंगठित श्रमिकों के लिए एक सम्मानजनक वृद्धावस्था की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। यह योजना न केवल आर्थिक सुरक्षा देती है, बल्कि सामाजिक समावेशन और आत्मनिर्भरता को भी बढ़ावा देती है।